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Saturday, December 6, 2014

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इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग एक बेहतरीन करियर है। एक अच्छे इंडस्ट्रियल डिजाइनर को देश-विदेश में काम के मौके मिलते हैं। इस करियर में रोजगार की संभावनाओं के बारे में बता रही हैं नमिता सिंह
समय के साथ लोगों की जीवनशैली में व्यापक बदलाव आया है और उनकी जरूरतें पहले से ज्यादा विस्तार ले चुकी हैं। लोगों की इसी मनोदशा को भांपते हुए बाजार सरपट दौड़ रहा है। नित्य नए उत्पाद सामने आ रहे हैं और लोगों की पसंद के अनुरूप डिजाइन तैयार किए जा रहे हैं। क्वालिटी में भी सुधार की गुंजाइश बन रही है। इसका असर मैन्युफैक्चरिंग फर्म अथवा विभिन्न उत्पाद बनाने वाली कंपनियों पर पड़ रहा है और वे मांग के अनुरूप उत्पाद देने की दिशा में तेजी से काम कर रही हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। साथ ही कई प्रोफेशनल्स की मदद लेनी पड़ती है। इन्हीं में से एक इंडस्ट्रियल डिजाइनर भी है। इस पूरी विधा को इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग का नाम दिया गया है। डिजाइनिंग की यह विधा अन्य विधाओं से अलग है। इस प्रोफेशन में पिछले दो दशकों में काफी बदलाव आया है। यह बदलाव उपभोक्ताओं की जागरूकता एवं बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा की देन है। आज उपभोक्ता किसी भी उत्पाद को खरीदने से पहले उसके बारे में पूरी तरह से संतुष्ट हो जाना चाहता है, इसलिए धीरे-धीरे यह एक स्थापित करियर का रूप ले चुका है।
क्या है इंडस्ट्रियल डिजाइनिंगइंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में अप्लाइड आर्ट और अप्लाइड साइंस दोनों को शामिल कर प्रोडक्ट के डिजाइन, सौंदर्यबोध और उसकी कार्यशैली को निखारा जाता है, ताकि बाजार में वह अधिकाधिक लोगों को पसंद आ सके। इसमें ऑटोमोबाइल, घरेलू उपकरण, फूड पैकेजिंग, इलेक्ट्रॉनिक एवं मेडिकल उपकरण आदि को प्रमुखता से शामिल किया जाता है। इस कार्य में लोगों की मांग व उनकी जरूरतों का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता है। इंडस्ट्रियल डिजाइन प्रोफेशनल्स की सफलता उनके द्वारा तैयार विभिन्न प्रोडक्ट्स पर ही निर्भर करती है। अधिकांश लोग प्रोडक्ट डिजाइनिंग को ही इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग समझ बैठते हैं, जबकि दोनों में काफी भिन्नता है। कार्यशैली में उनमें कुछ समानता जरूर है। इसके लिए प्रोडक्ट डिजाइनर को कई अन्य विधाओं जैसे डिजाइन इंजीनियरिंग, विजुअल कम्युनिकेशन, डिजाइन डिपार्टमेंट आदि के साथ तालमेल बिठा कर काम करना होता है।
बारहवीं के बाद खुलेंगी राहेंइसके बैचलर कोर्स में दाखिले के लिए छात्र को साइंस स्ट्रीम में 10+2 होना आवश्यक है। कुछ डिग्री कोर्स ऐसे भी होते हैं, जिनमें साइंस स्ट्रीम की बाध्यता नहीं है, जबकि पीजी डिप्लोमा अथवा मास्टर कोर्स में तभी प्रवेश मिल पाता है, जब छात्र ग्रेजुएट हो। इसमें बैचलर, मास्टर, पीजी डिप्लोमा आदि कई तरह के कोर्स प्रचलित हैं। बैचलर प्रोग्राम चार वर्षीय होते हैं, जबकि डिजाइन इन मास्टर प्रोग्राम दो वर्षीय होते हैं। इसके अधिकांश कोर्स आईआईटी के जरिए संचालित होते हैं। इसी तरह से पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम तीन वर्षीय होते हैं। अधिकांश छात्र स्नातक के बाद ही इसके मास्टर कोर्स में दाखिला लेते हैं। कुछ संस्थान प्रवेश परीक्षा के बाद तो कुछ मेरिट लेवल पर अपने यहां प्रवेश देते हैं। इसके प्रमुख कोर्स में दाखिले के लिए कॉमन नेशनल एंट्रेंस एग्जाम इन डिजाइन (एनईईडी) के रूप में प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है।
क्लाइंट की जरूरतों को समझेंयह प्रोफेशन चुनौतीपूर्ण एवं जिम्मेदारी भरा है। इसमें क्लाइंट की जरूरतों को समझते हुए डिजाइन का कॉन्सेप्ट तैयार किया जाता है। क्लाइंट की सहमति के बाद ही काम को अंतिम रूप दिया जाता है। प्रेजेंटेशन स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल्स, कॉमर्शियल स्किल्स, कॉमर्शियल एवं इंटरप्रिन्योरशिप स्किल्स, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स, टीमवर्क स्किल्स आदि का होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा उसकी रुचि डिजाइनिंग व इंजीनियरिंग में होनी भी आवश्यक है।
कोर्स से जुड़ी जानकारीइसके सिलेबस में मुख्य रूप से
प्रोडक्ट डिजाइन, फर्नीचर एंड इंटीरियर डिजाइन, सिरैमिक एंड ग्लास डिजाइन, ग्राफिक डिजाइन, एनिमेशन एंड फिल्म डिजाइन, फिल्म एंड वीडियो कम्युनिकेशन, एग्जीबिशन डिजाइन, टेक्सटाइल एंड अपैरल डिजाइन, लाइफ स्टाइल एक्सेसरीज के अलावा ट्रांसपोर्टेशन डिजाइन आदि पर फोकस किया जाता है।
सेलरी की रूपरेखाकोर्स के बाद इसमें प्रवेश लेने वाले ट्रेनी अथवा इंटर्नशिप प्रोफेशनल्स को 15-20 हजार रुपये प्रतिमाह, जूनियर डिजाइनर को 30 हजार प्रतिमाह, असिस्टेंट डिजाइनर को 40-50 हजार, सीनियर डिजाइनर को 60-65 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। अनुभव के साथ-साथ पैसा भी बढ़ता जाता है। इसके अलावा चार-पांच साल का अनुभव हो जाने पर प्रोफेशनल्स अपना खुद का अथवा फ्रीलांसिंग का काम भी कर सकते हैं।
रोजगार की संभावनाएंइस प्रोफेशन में देश-विदेश में व्यापक संभावनाएं हैं। इसमें मैन्युफैक्चरिंग फर्म, कंसल्टिंग फर्म, होंडा, जनरल मोटर्स, ओजीएस एनिमेशन, हाईडिजाइन, ओनियो, एलजी आदि में काम करने का अवसर मिलता है।  अनुभव के बाद विदेश जाकर पद और पैसा दोनों प्राप्त किया जा सकता है। आजकल तो मल्टीनेशनल कंपनियां देश में ही प्रोफेशनल्स को मुंहमांगी कीमत दे रही हैं।
फायदे एवं नुकसानव्यवस्थित इंडस्ट्री में काम करने का मौका, काम करने का व्यापक क्षेत्र (सॉफ्टवेयर व ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री), काफी समय के बाद पहचान व पैसा, घंटों काम करने से थकान की नौबत।
एजुकेशन लोनछात्रों को प्रमुख राष्ट्रीयकृत, प्राइवेट अथवा विदेशी बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन प्रदान किया जाता है। छात्र को जिस संस्थान में एडमिशन कराना होता है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, हॉस्टल खर्च, ट्यूशन फीस एवं अन्य खर्चो का ब्योरा बैंक को देना होता है। साथ ही अभिभावक/पेरेंट्स का आय संबंधी प्रमाण पत्र बतौर गारंटर जमा कराना अनिवार्य है। देश के लिए जहां मुख्य तौर पर अधिकतम 10 लाख रुपए का लोन है, वहीं विदेशों में अध्ययन के लिए इसकी अधिकतम राशि 20 लाख तय की गई है।
एक्सपर्ट व्यू
क्रिएटिव बनना होगा छात्रों को
इसमें इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग की जानकारी दी जाती है कि कोई प्रोडक्ट कैसे अच्छा दिखे और उसका फंक्शन औरों से बेहतर हो। प्रयोग करने में भी वह बेहतर हो। यही कारण है कि इसे इंडस्ट्रियल डिजाइन कहा गया है। वर्तमान समय में लड़कियां तेजी से इस क्षेत्र में आ रही हैं, क्योंकि गृह साज-सज्जा व डिजाइनिंग में उनकी रुचि ज्यादा होने से कार्यक्षेत्र पर इसका बेहतर प्रयोग नजर आता है। आज सभी कंपनियां अपने प्रोडक्ट को बेहतर बनाने में जुटी हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में तेजी से संभावनाएं बढ़ रही हैं। विदेश में भी काफी अवसर हैं। इसमें प्रोफेशनल्स को यही कोशिश करनी होगी कि कैसे उनका काम क्लाइंट व उपभोक्ता को पसंद आए। यह तभी संभव हो पाता है, जब वे क्रिएटिव माइंड अख्तियार करें। 
प्रो. पराग आनंद मेश्राम
(असि. प्रोफेसर, इंडस्ट्रियल डिजाइन डिपार्टमेंट) स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर

प्रमुख संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद
वेबसाइट- 
www.nid.edu
इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर (आईआईटी बाम्बे), मुंबई, वेबसाइट- www.iitb.ac.in
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली वेबसाइट- www.nift.ac.in
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली
वेबसाइट
www.spa.ac.in
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ क्राफ्ट एंड डिजाइन, राजस्थान वेबसाइट- www.iicd.ac.in
आईआईएलएम स्कूल ऑफ डिजाइन, गुड़गांव
वेबसाइट
www.iilm.edu
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर
वेबसाइट-
  www.iitk.ac.in
साभार-- लिवहिन्दुस्तान डॉट कॉम

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