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Saturday, November 29, 2014

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मेडीकल सेक्टर में केरियर बनाने की आपकी इच्छा हो तो अवसरो की कमी नही है।मेडीसन,नर्सिंग,हॉस्पीटल मैनेजमैंट, आयुर्वेद,ऑप्टोमेट्री,फिजियोथेरेपी आदि कई रूपों में विकल्प आपके लिए उपलब्ध हैं।स्वास्थ्य के प्रति आजकल लोग खूब जागरूक हैं इसी का परिणाम है कि सामाज में चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों की माँग भी निरंतर बढ़ती जा रही है।चिकित्सा संबंधी कोई भी क्षेत्र क्यों न हो हर तरफ एसी ही स्थिति है यही कारण है कि चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार रिसर्च का सिलसिला जारी है,वही बहेतर उपचार के लिए अस्पतालों का स्वरूप भी बदलकर आधुनिक होता जा रहा है।आजकल लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होने के कारण अस्पतालों व  उपचार केन्द्रों की संख्या में भी खूब तरक्की हो रही है।एसे में चिकित्सा के क्षेत्र में न तो विकल्पों की कमी है और न ही अवसरों की।आप भी अपनी शैक्षिक योग्यता के अनुसार इस सेक्टर में प्रवेश पा सकते हैं और अपनी रुचि के अनुसार कोई भी विकल्प चुन सकते हैं।

एलोपैथीः-----

एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी) अथवा बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) की डिग्री हाशिल करने के उपरांत मेडिसन और सर्जरी विभाग से सम्बद्ध एलोपैथी के क्षेत्र में कदम बढ़ाया जा सकता है।कोर्स के दौरान विद्यार्थियों को तमाम चिकित्सकीय जानकारियाँ उपलब्ध कराई जाती हैं।एमबीबीएस के बाद एमडी,एमएस तथा पीएचडी की डिग्री भी हासिल की जा सकती है।पीसीबी से 12बी करने के बाद मेडीकल से संबंधित प्रवेश परीक्षाओं में दाखिला ले सकते हैं।

हॉस्पीटल मैनेजमेंट-----

अस्पतालों के आधुनिक होते हुये स्वरुप और सुविधाओं में हो रही बढ़ोत्तरी का ही परिणाम है कि अस्पतालों के बेहतर रखरखाव की जरुरत पड़ती है और उसके लिए हॉस्पीटल मैनेजमेंट के प्रोफेसनल्स की जरुरत बढ़ने लगी है।हैल्थ सर्विस मैनेजर या एडमिनिस्टर को अस्पतालों के अलावा फिटनेस क्लीनिक,इमरजंसी मेडीकल यूनिट,फार्माक्यूटिकिल फर्म,हॉस्पीटल इन्फार्मेशन सिस्टम,ई हैल्थ वेंचर,एनजीओ आदि जगहों में काम मिल सकता है।हॉस्पीटल मैनेजमेंट से संबंधित कोर्स विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध हैं।

फार्मेसी------

फिजिक्स,कैमिस्ट्री मैथ्स व बायोलॉजी से 12 बी पास विद्यार्थी फार्मेसी से संबंधित कोस में दाखिला ले सकते हैं।बैचलर इन फार्मेसी(बी फार्मा) डिप्लोमा इन फार्मेसी (डी.फार्मा),मास्टर इन फार्मेसी(एम.फार्मा) एमबीए(फार्मा) आदि इस क्षेत्र के कुछ खास कोर्स हैं।
फार्माक्यूटिकिल इण्डस्ट्री में आज अवसरों की कमी नही है।जिसके तहत दवाइयों के निर्माण, वितरण और विक्री से लेकर उसके बहेतर इस्तेमाल से संबंधित काम किया जाता है।बी फार्मा करने के बाद किसी फार्माक्यूटिकिल कंपनी में मैडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रुप में केरियर की शुरुआत की जा सकती है।

नर्सिंग-----

अस्पतालों में डाक्टरों की जरुरतों के साथ ही साथ नर्सों की जरुरत भी होती ही है।जो डाक्टर को मरीजों के उपचार में मदद करती हैं साथ ही डाक्टर के बाद भी मरीज की देखभाल करती हैं।बीएससी इन नर्सिंग तथा बीएससी आनर्स इन नर्सिंग 12बीं क्लास करने के बाद दो प्रमुख कोर्स हैं।इसके अलाबा जरनल नर्सिंग एण्ड मिडवाइफरी (जीएनएम) में भी दाखिला 12बीं के बाद मिलता है।

ओप्टोमेट्री-------

ओप्टोमेट्री पैरामैडीकल साइंस का एक हिस्सा है जिसका संबंध आँखों से है।ओप्टोमेट्री में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करके इस क्षेत्र में कदम रखा जा सकता है।डिप्लोमा इन ऑप्थेल्मिक टेक्नीक व बैचलर ऑफ क्लीनिकल ऑप्टोमेट्री आदि इसके मुख्य कोर्स हैं।इस विषय के अन्तर्गत आखों की संरचना,क्रियाविधि व अन्य बाते शामिल हैं साथ ही दृष्टि दोष के प्रारंभिक लक्षण,लैंसों का प्रयोग,चश्मा आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

मैडिकल इंश्योरेंस----

आजकल जैसे जैसे रोगों का आतंक बढ़ता जा रहा है लोगों को मैडिकल इंश्योरेंस की जरुरत भी तेजी से बढ़ रही है।आजकल न केवल अच्छी कम्पनिया अपने कर्मियों को हेल्थ बीमा कराने पर बल दे रहीं है अपितु मझोले कद की कम्पनियाँ भी इस क्षेत्र में आगे आ रही हैं। साथ ही साथ लोगों में व्यक्तिगत रुप से हेल्थ बीमा कराने की चाहत बढ़ रही है एसे में हेल्थ इंश्योंरेंश कोर्स भी कैरियर के दृष्टिकोण से काफी महत्व का हो गया है।

मैडिकल ट्रांसक्रिप्सन------

मैडिकल रिकार्ड,क्लीनिक नोट्स,फिजिकल रिपोर्ट,डिस्चार्ज समरी,पैथोलॉजी रिपोर्ट,एक्स रे,आदि को व्यवस्थित करने का काम मैडिकल ट्रांसक्रिप्सन से जुड़े कर्मियों का है।ये लोग डाक्टर्स की देखरेख में काम करते हैं.साइंस ग्रेजुएट्स को इस क्षेत्र में प्राथमिकता दी जाती है।वैसे इस कोर्स को किसी भी क्षेत्र का विद्यार्थी कर सकता है।

होम्योपैथी----

आजकल होम्योपैथी अनेकानेक रोगों मे इलाज के लिए लोगों के विश्वास की चिकित्सा पद्यति बन गयी है इसके तहत बैचलर एंव मास्टर लेवल के पाठयक्रम कराये जा रहै हैं।फिजिक्स कैमिस्ट्री व बायोलॉजी के साथ 12 बीं उत्तीर्ण विद्यार्थी बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मैडिसन एण्ड सर्जरी (बीएचएमएस) में दाखिला ले सकते हैं।इसके बाद उच्च स्तर की पढ़ाई की जा सकती है।

रेडियोग्राफी/ इमेजिंग साइंस-----

रेडियोग्राफी में रेडियेशन के सहारे डाय्ग्नोस्टिक टेस्ट किये जाते हैं।इसके तहत अल्ट्रासाउंड,एक्स रे,सीटीस्केन,एमआरआई आदि की मदद से आंतरिक अंगों की तस्वीरें ली  जाती हैं।साइंस में 12 बीं उत्तीर्ण छात्र रेडियोग्राफी के कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स की अवधि तीन साल होती है।सार्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स भी  किये जा सकते हैं अस्पताल नर्सिंग होम डायग्नोस्टिक सेन्टर आदि में एसे प्रोफेसनल की माँग रहती है। अतः आप इसे कैरियर के रुप में चुन सकते हैं।

फिजियोथेरेपी:-----

फिजिक्स कैमिस्ट्री बायोलाजी और इंग्लिस विषयो के साथ 12बीं पास किये छात्र फिजियोथेरेपी की डिग्री व डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लेकर अपनी राह बना सकते हैं।फिजियो थेरेपी के तहत विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यायाम तथा विभिन्न उपकरणों की मदद से अनेक रोगों का इलाज किया जाता है।शारीरिक रुप से कमजोर होने, अर्थराइटिस अथवा न्यूमरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने पर फिजियोथैरेपिस्ट की मदद ली जाती है।पुनर्वास केन्द्र,आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट,हॉस्पीटल आदि में एसे प्रोफेशनल को अवसर मिलता है।इसके अलावा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद टीचिंग का क्षेत्र भी चुना जा सकता है। 

मेडिकल टूरिज्म:-----

मैडिकल टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हॉस्पीटल,उपचार व टूरिज्म के क्षेत्र में अपनी जानकारी बढ़ाकर आप अपना कैरियर शुरु कर सकते हैं।इस क्षेत्र में केवल साइंस के छात्र ही नही बल्कि आर्टस व कॉमर्स के स्टूडेंट भी जा सकते हैं।सस्ते इलाज,एडवांस टेक्नोलॉजी और सुविधाओं से लैस अस्पतालों में मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में आजकल अपार संभावनाऐं हैं।

क्लीनिकल रिसर्च:------

साइंस ग्रेजुएट और डाक्टर्स के बीच क्लीनिकल रिसर्च की लोकप्रियता आजकल काफी बढ़ गयी है, क्योंकि इस क्षेत्र में अवसरों की कमी नही है।रिसर्च चाहैं किसी रोग और उसके लक्षणों से सबंधित हो या दवाओं या उसके परिणामों से संबंधित हो क्लीनिकल रिसर्च के माध्यम से ही उसको अंतिम रुप दिया जाता है।फार्मा कम्पनियों या फिर हेल्थ से जुड़े संस्थानों में क्लीनिकल रिसर्च एसोसियेट के रुप में कैरियर की शुरुआत की जा सकती है।

आयुर्वेद :-----

देश के विभिन्न संस्थानों में आयुर्वेद में स्नातक पाठयक्रम है, जिसे बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसन एंज सर्जरी (बीएएमएस) कहा जाता है।इस कोर्स के बाद एमडी आयुर्वेद में एडमीशन लिया जा सकता है।

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